अयाज मेमन की कलम से: ‘पावर-सिंड्रोम’ दिखाता है सुशील का अपराध

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नई दिल्ली20 मिनट पहले

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अजाय मेमन - Dainik Bhaskar

अजाय मेमन

हत्या के आरोप में पहलवान सुशील कुमार की पिछले हफ्ते गिरफ्तारी खेल इतिहास की सबसे नाटकीय कहानियों में से एक है। हथकड़ी पहने तस्वीर उनकी उपलब्धि और छवि के लिए बहुत बड़ा झटका है। दो बार के ओलिंपिक मेडलिस्ट मृदुभाषी सुशील भारतीय कुश्ती के पोस्टर-बॉय थे, जिसकी दुनिया में प्रतिष्ठा थी और जो देशभर के उभरते पहलवानों के लिए प्रेरणा थे। उन्होंने दो दशक तक अथक प्रयास किया। अफसोस है कि उनका आभामंडल एक महीने से भी कम समय में बिखर गया। उन पर उत्तर भारत के रेसलिंग हब छत्रसाल स्टेडियम में पूर्व जूनियर पहलवान 23 साल के सागर धनकड़ की हत्या का आरोप है। वह पहले स्पोर्टिंग आइकन नहीं है, जिन्हें इस तरह का नुकसान हुआ।

1994 में अमेरिकी फुटबॉल लीजेंड ओ. जे. सिम्पसन पर पत्नी निकोल ब्राउन सिम्पसन की हत्या का आरोप था। सिम्पसन को पकड़ने के लिए एक ड्रामा रचा गया था, जिसे टीवी पर लाइव दिखाया गया था। यह अमेरिकी इतिहास में सबसे विवादास्पद मामलों में से एक था।

2015 में द. अफ्रीका के पैरालिंपिक चैंपियन ब्लेड रनर ऑस्कर पिस्टोरियस को गर्लफ्रेंड रीवा स्टीनकैंप की हत्या के आरोप में जेल में डाल दिया गया था। पिस्टोरियस की दलील थी कि उन्होंने गलती से स्टीनकैंप को गोली मार दी थी। मामले में कई मोड़ आने के बाद पिस्टोरियस अभी भी सलाखों के पीछे हैं। सिम्पसन और पिस्टोरियस के विपरीत सुशील का अपराध जुनूनी नहीं था। यह भावनात्मक क्राइम भी नहीं था। यह ‘पावर-सिंड्रोम’ थ्योरी दिखाता है, जिसमें कुछ लोगों को दूसरों को पूर्ण नियंत्रण में करने की साइकोपैथिक इच्छा होती है।

सुशील की जो कहानी पिछले कुछ हफ्तों में सामने आई, उसमें वे एक ऐसे सनकी व्यक्ति लगे, जो अपने आसपास के लोगों पर पूर्ण प्रभुत्व चाहता है। उन्होंने जिस तरीके से इस मामले को डील किया, उससे वे एक स्पोर्टिंग लीजेंड की बजाय क्राइम सिंडिकेट के लीडर लग रहे थे। वे उस व्यक्ति के बिल्कुल विपरीत लग रहे थे, जिससे मैं कई बार मिला हूं।

2012 लंदन ओलिंपिक में सिल्वर जीतने के बाद सुशील के शब्द थे- पोडियम पर तिरंगे को देखकर जो अहसास होता है, उसकी तुलना किसी अन्य चीज से नहीं हो सकती। वे भारतीय रेसलिंग के आइकन बन गए थे। हालांकि, करिअर में उनके कई विवाद भी रहे। जिसमें नरसिंह यादव से झगड़ा हो या फिर उनकी वजह से कई पहलवानों का छत्रसाल अखाड़ा छोड़ना। एक व्यक्ति, जिसके पास नाम, शोहरत, पैसा सब हो, वह ऐसी क्रूरता कैसे कर सकता है, जहां से वापसी करना संभव न हो? मानव स्वभाव के बारे में कुछ पता नहीं चलता। लेकिन मैं सुशील कुमार की कहानी से काफी हतप्रभ हूं।

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