दूसरी लहर में भोपाल के 66 खिलाड़ी संक्रमित: अच्छी इम्युनिटी, बैलेंस्ड डाइट से किसी को नहीं पड़ी ऑक्सीजन की जरूरत; 7 से 15 दिन में ठीक भी हुए

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भोपाल21 घंटे पहलेलेखक: कृष्ण कुमार पांडेय

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बेहतर खानपान, व्यायाम और सधी दिनचर्या से आप कोरोना से आसानी से जीत सकते हैं। यह साबित किया है मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के खिलाड़ियों ने। दूसरी लहर में जब कोरोना लोगों को गंभीर बीमार कर रहा है। कई लोगों की जान तक जा चुकी है। ऐसे में हमारे करीब 66 खिलाड़ियों ने इसे खेल-खेल में ही हरा दिया।

इस साल भोपाल के करीब 66 खिलाड़ी वायरस की चपेट में आए। खास बात यह कि इनमें से कोई भी सीवियर स्टेज तक नहीं पहुंचा। सभी माइल्ड या फिर मॉडरेट स्टेज से ही ठीक हो गए। भास्कर को ठीक हुए खिलाड़ियों, स्पोर्ट्स मेडिसिन एक्सपर्ट और इलाज करने वाले डॉक्टर्स ने बताया कि सभी खिलाड़ी अच्छी इम्युनिटी, दिनचर्या और डाइट से ही जल्दी रिकवर हुए हैं।

खिलाड़ियों ने बताया- कोरोना के साथ निमोनिया हुआ, 7 दिन में जीत ली जंग
साई भोपाल के अंतरराष्ट्रीय जूडो खिलाड़ी ईशान बताते हैं कि हममें से 5 को कोविड के साथ निमोनिया भी था, फिर भी 7 दिन में ठीक हो गए। राज्य शूटिंग अकादमी की पिस्टल कोच ओशिन टवानी बताती हैं कि रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर थोड़ा डर लगा, लेकिन सभी के सपोर्ट से सब हैंडल हो गया। विभाग की साइकोलॉजिस्ट ने काउंसिलिंग की। इंटरनेशनल रेसलर रमन यादव बताती हैं कि कोरोना के कारण उन्हें इंडिया कैंप और ट्रायल छोड़ना पड़ा।

एक्सपर्ट बोले- रेगुलर एक्सरसाइज, चैकअप और अच्छी डाइट से फायदा
तात्या टोपे स्टेडियम में संचालित स्पोर्ट्स साइंस सेंटर के हेड डॉ. जिंस थॉमस मैथ्यू कहते हैं कि खिलाड़ी एक सेट लाइफ स्टाइल फॉलो करते हैं। उनका फिटनेस लेवल अच्छा होता है, क्योंकि वे रेगुलर एक्सरसाइज करते हैं। डाइट भी अच्छी मिलती है, जिससे उनका इम्यून सिस्टम ज्यादा स्ट्रांग होता है। ब्लड शुगर कंट्रोल होता है, हार्ट डिसीज जैसी समस्याएं नहीं होती हैं। खिलाड़ियों के रेगुलर चैकअप भी किया जाता है।

डॉक्टर ने कहा- एक्टिव ट्रीटमेंट और चेस्ट फिजियोथैरेपी मददगार रही
साई स्थित स्पोर्ट्स मेडिसिन सेंटर के डॉ. तरुण बघेल कहते हैं कि कुछ खिलाड़ियों को चिरायु हॉस्पिटल में भर्ती कराया था और कुछ का इलाज साई हॉस्टल में किया। उन्हें हाई डाइट दी। साथ ही उन्हें प्रोफाइल एक्टिव ट्रीटमेंट (बीमारी से पहले इलाज) दिया। एके हॉस्पिटल के डॉ. कुशाग्र बताते हैं कि हमने खिलाड़ियों को खूब फ्रूट्स खिलाए। उनके रेगुलर शेड्यूल को सस्पेंड रखा। उनसे चेस्ट फिजियोथैरेपी या एक्सरसाइज कराते थे।

खिलाड़ी की दिनचर्या
सुबह 5 से 7 बजे के बीच उठते हैं। फिर योग, प्राणायाम या वर्कआउट करते हैं। नास्ता करने के बाद खेल की कोर ट्रेनिंग करते हैं। दोपहर में लंच, फिर आराम या ट्रेनिंग करते हैं। शाम में फ्रूट्स या हल्का खाना। फिर ट्रेनिंग और रात का खाना।

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