बराबरी की बात: एक देश-एक खेल, पर महिलाओं की सैलरी पुरुषों से 14 गुना कम
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मुंबई38 मिनट पहलेलेखक: ऋषिकेश कुमार
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महिला क्रिकेटरों को कब मिलेगा हक?
14,680 करोड़ रु. की नेटवर्थ वाला दुिनया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड महिला और पुरुष खिलाड़ियों में भेदभाव कर रहा है। एक देश, एक खेल होने के बावजूद मेहनताने में जमीन-आसमान का अंतर है। पुरुष टीम के टॉप ग्रेड खिलाड़ी को सालाना 7 करोड़ रु. मिलते हैं, वहीं पूरी महिला टीम का कांट्रैक्ट ही 5.1 करोड़ रु. का है। यानी 14 गुना कम। यह हाल तब है, जब 2015 के बाद महिला टीम टी20 और 50-ओवर वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची चुकी है। जबकि, पुरुष टीम तीनों वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में हार गई और आखिरी बार वर्ल्ड कप फाइनल 2014 में खेला था।
बीसीसीआई ने हाल ही में 19 महिला खिलाड़ियों का करार एक साल के लिए 5.1 करोड़ में किया। टॉप ग्रेड महिला खिलाड़ियों को 50 लाख सालाना मिलेंगे। जबकि पुरुष टीम के सबसे निचले (सी) ग्रेड खिलाड़ियों को भी 1 करोड़ रु. मिलते हैं। बाेर्ड की सरप्लस धनराशि का 26% खिलाड़ियों में बांटा जाता है।
इसमें अंतरराष्ट्रीय पुरुष खिलाड़ियों को 13%, घरेलू पुरुष खिलाड़ियों को 10.4%, जबकि महिला व जूनियर खिलाड़ियों को 2.6% मिलता है। सुप्रीम कोर्ट की वकील फौजिया शकील के मुताबिक कहने को महिलाएं पुरुषों के बराबर हैं, मगर बात वेतन की आती है तो भेदभाव जारी है। महिला क्रिकेटर भी देश का प्रतिनिधित्व करती हैं, मगर उन्हें आधा वेतन भी नहीं मिलता।
यह समानता के हक का हनन है। ऑस्ट्रेलिया ने 2017 में महिला खिलाड़ियों की सैलरी 125% तक बढ़ाई। जून 2017 तक औसत सैलरी 50 लाख थी, जो जुलाई में 1.15 करोड़ हो गई। प्राइजमनी भी बराबर है। न्यूजीलैंड ने 2019 में महिला खिलाड़ियों का पेमेंट पूल 7.8 करोड़ से बढ़ाकर 21.7 करोड़ कर दिया था। हर खिलाड़ी को औसतन 30 लाख रु. मिलते हैं।
कम मैचों का तर्क पर जिम्मेदारी बीसीसीआई की
महिला और पुरुष खिलाड़ियों की मैच फीस में भी भारी अंतर है। पुरुष खिलाड़ी को एक टेस्ट मैच के 15 लाख, वनडे के 6 लाख और टी-20 के लिए 3 लाख मिलते हैं। महिला खिलाड़ियों को वनडे और टी-20 के लिए 1-1 लाख ही मिलते हैं। महिलाओं की कम सैलरी के पीछे कम मैचों का तर्क दिया जाता है। हालांकि सीरीज कराना बीसीसीआई की जिम्मेदारी है।
महिला टीम सात साल बाद अगले महीने टेस्ट खेलेगी। वनडे नवंबर 2019 के बाद इस साल मार्च में खेला। टी20 वर्ल्ड कप फाइनल के बाद एक साल इंटरनेशनल मैच ही नहीं हुआ। वर्ष 2015 में बीसीसीआई ने महिला खिलाड़ियों का कॉट्रैक्ट शुरू किया तब टॉप ग्रेड के लिए सालाना 15 लाख रुपए मिलते थे। पुरुषों के लिए राशि एक करोड़ थी। छह सालों में टॉप ग्रेड पुरुष खिलाड़ियों की कॉट्रैक्ट राशि सात गुना बढ़ी जबकि महिलाओं की कॉट्रैक्ट राशि तीन गुना ही हुई है।
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