आईएटी के फैसले को नकारा: केयर्न के पक्ष में सुनाए 120 करोड़ डॉलर के फैसले को भारत ने दी चुनौती; सरकार ने कहा- राष्ट्रीय टैक्स विवाद में मध्यस्थता कभी स्वीकार नहीं की
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नई दिल्ली2 घंटे पहले
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मंत्रालय का कहना है कि ट्रिब्यूनल ने एक राष्ट्रीय स्तर के टैक्स विवाद मामले में निर्णय देकर अधिकार क्षेत्र का अनुचित प्रयोग किया है।
भारत ने ब्रिटेन की कंपनी केयर्न एनर्जी पीएलसी को 120 करोड़ डॉलर लौटाने के इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल (आईएटी) के फैसले को चुनौती दी है। सरकार ने कहा है कि उसने ‘ राष्ट्रीय टैक्स विवाद’ में कभी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया है। वित्त मंत्रालय ने यह जानकारी दी।
इसी के साथ मंत्रालय ने उन मीडिया रिपोर्टों को भी खारिज किया जिसमें कहा गया था कि कंपनी की ओर से विदेश में भारत की सरकारी संपत्ति कुर्क कराने की कार्रवाई की आशंका को देखते हुए भारत सरकार ने सरकारी बैंकों को विदेश में अपने विदेशी मुद्रा खातों से पैसा निकाल लेने को कहा गया है।
सरकार ने हालांकि तीन सदस्यीय अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल में अपनी तरफ से एक जज की नियुक्ति की और केयर्न से 10,247 करोड़ रुपए के पुराने टैक्स की वसूली के इस मामले में जारी प्रक्रिया में पूरी तरह भाग लिया। लेकिन मंत्रालय का कहना है कि ट्रिब्यूनल ने एक राष्ट्रीय स्तर के टैक्स विवाद मामले में निर्णय देकर अधिकार क्षेत्र का अनुचित प्रयोग किया है।
भारत इस तरह के मामलों में कभी भी मध्यस्थता की पेशकश अथवा उस पर सहमति नहीं जताता है। वित्त मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने 22 मार्च को मध्यस्थता फैसले को हेग स्थित शीर्ष मध्यस्थता अदालत में चुनौती दी है। बयान के मुताबिक, कंपनी ने केयर्न इंडिया को स्थानीय शेयर बाजार में लिस्ट कराने के लिए 2006 में कारोबार का पुनर्गठन किया। यह ‘टैक्स चोरी के लिए अनुचित योजना’ थी, जो भारतीय टैक्स कानूनों का बड़ा उल्लंघन हुआ।
पिछली तारीख से टैक्स का मामला
- भारत सरकार ने केयर्न एनर्जी से बकाया टैक्स की वसूली के लिए उसकी पूर्व में भारत स्थित इकाई के शेयर जब्त कर बेच दिए। डिविडेंड को भी अपने कब्जे में ले लिया। टैक्स रिफंड को भी रोक लिया था। यह सब केयर्न से उसके द्वारा भारतीय इकाई में किए गए फेरबदल पर कमाए गए मुनाफे पर टैक्स वसूली के लिए किया गया।
- भारत ने 2012 में इस संबंध में एक कानून संशोधन पारित कर पिछली तारीख से टैक्स लगाने का अधिकार हासिल करने के बाद यह कदम उठाया। केयर्न भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय निवेश संधि के तहत उपलब्ध प्रावधानों का इस्तेमाल करते हुए केस को आईएटी में ले गई।
- आईएटी ने पिछले साल दिसंबर में केयर्न के पक्ष में फैसला सुनाया। साथ ही भारत सरकार को शेयर, डिविडेंड के जरिए वसूले गए 120 करोड़ डालर ब्याज सहित लौटाने को कहा।
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