ईंधन को सस्ता करने की तैयारी: GST के दायरे में लाए जा सकते हैं पेट्रोल-डीजल, 28% के मैक्सिमम रेट पर भी होंगे काफी सस्ते, सरकार का राजस्व करीब 1 लाख करोड़ घटेगा

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नई दिल्ली6 मिनट पहले

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सांकेतिक तस्वीर। - Dainik Bhaskar

सांकेतिक तस्वीर।

ज्यादा टैक्स लगने की वजह से पेट्रोल और डीजल महंगा होने की शिकायत जल्द दूर हो सकती है। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) पर मंत्रियों की समिति पेट्रोलियम उत्पादों के लिए देशभर में एक टैक्स रेट तय करने पर इसी हफ्ते विचार करेगी। पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाए जाने पर 28% के मैक्सिमम रेट पर भी इनके दाम काफी घटेंगे, लेकिन सरकार को इनसे मिलने वाले राजस्व में अच्छी-खासी कमी आएगी।

शुक्रवार को लखनऊ में GST काउंसिल की 45वीं बैठक में होगा विचार

पेट्रोलियम उत्पादों को GST के दायरे में लाने के प्रस्ताव पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली समिति शुक्रवार को लखनऊ में GST काउंसिल की 45वीं बैठक में विचार करेगी। यह कोविड का प्रकोप शुरू होने के बाद से GST काउंसिल की पहली फिजिकल बैठक होगी। पिछली बैठक 12 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई थी, जिसमें कोविड-19 पर रोकथाम लगाने या उसके इलाज में काम आने वाले सामान के टैक्स रेट को 30 सितंबर तक के लिए घटाया गया था।

GST पर मंत्रियों की समिति के तीन चौथाई सदस्यों की मंजूरी जरूरी

जानकारों के मुताबिक, पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स को GST के दायरे में लाने के लिए उसके (GST के) सिस्टम में बदलाव करना होगा। इसके लिए GST पर मंत्रियों की समिति के तीन चौथाई सदस्यों यानी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों की मंजूरी जरूरी होगी। हालांकि, कुछ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स को GST के दायरे में लाने का विरोध कर रहे हैं। क्योंकि इससे उनकी कमाई का बड़ा जरिया केंद्र के कंट्रोल में आ जाएगा।

अप्रैल-जुलाई के दौरान पेट्रोलियम उत्पादों से 48% ज्यादा उत्पाद शुल्क

इस वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में यानी अप्रैल से जुलाई के बीच सरकार को पेट्रोलियम उत्पादों से हासिल होने वाले उत्पाद शुल्क में 48% का इजाफा हुआ है। सरकार को इस दौरान इस मद में एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व मिला, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 67,895 करोड़ रुपए था। वित्त वर्ष 2020-21 में सरकार को पेट्रोल-डीजल से मिला टैक्स 88% उछलकर 3.35 लाख करोड़ रुपए हो गया था।

केंद्र और राज्य सरकारों का कुल राजस्व करीब 1 लाख करोड़ रुपए घटेगा

SBI के इकोनॉमिक रिसर्च डिपार्टमेंट ने इसी साल मार्च में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें उसने कहा था कि पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स को जीएसटी के दायरे में लाने से केंद्र और राज्य सरकारों के राजस्व में करीब 1 लाख करोड़ रुपए की कमी आएगी। यह रकम GDP के 0.4% के बराबर होगी।

GST सिस्टम में पेट्रोल 75 रुपए, डीजल 68 रुपए तक आने का अनुमान दिया था

SBI ने तब कहा था कि जीएसटी के दायरे में लाए जाने पर देशभर में पेट्रोल की कीमत 75 रुपए जबकि डीजल की कीमत 68 रुपए प्रति लीटर तक आ सकती है। उस समय दिल्ली में पेट्रोल 91.17 रुपए जबकि डीजल 81.94 रुपए प्रति लीटर की दर से मिल रहा था। SBI ने कीमतों का आंकड़ा 60 डॉलर प्रति बैरल के क्रूड और 73 रुपए प्रति डॉलर के एक्सचेंज रेट के हिसाब से निकाला था।

लगातार नौवें दिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं

गौरतलब है कि मंगलवार को लगातार नौवें दिन देशभर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ। दिल्ली में पेट्रोल का प्राइस 101.19 रुपए जबकि डीजल का दाम 88.62 रुपए प्रति लीटर रहा।

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