काम की बात: म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले इन 8 बातों का रखें ध्यान, नहीं तो उठाना पड़ सकता है नुकसान
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नई दिल्लीएक दिन पहले
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बीते कुछ समय में म्यूचुअल फंड ने अच्छा रिटर्न दिया है। इसके चलते निवेशकों में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में अगर आप भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं तो इससे पहले कुछ बातों को समझना आपके लिए बहुत जरूरी है। पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट और ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के संस्थापक व CEO पंकज मठपाल आपको बता रहे हैं कि म्यूचुअल फंड में निवेश करने और बेहतर रिटर्न पाने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए।
तय करें कि पैसा कहां लगाना है
निवेशक को सबसे पहले निवेश सूची तैयार कर लेनी चाहिए कि उसे कहां और कितने पैसे निवेश करने हैं। इस प्रक्रिया को असेट एलोकेशन कहते हैं। असेट एलोकेशन वो तरीका है जो यह तय करता है कि आप अपने पैसे को विभिन्न निवेशों में कैसे लगाएं जिसमें सम्पत्ति के सभी वर्गों का सही मिश्रण हो।
असेट एलोकेशन के कुछ नियम हैं जो आपको यह बताते हैं कि किस उम्र में कितना धन जुटाना है। उदाहरण के लिए- यदि किसी निवेशक की उम्र 25 साल है तो उसे अपने निवेश का 25% डेट इंस्ट्रूमेंट और बाकि इक्विटी में लगाना चाहिए। यह एक सामान्य नियम है किंतु हर निवेशक की जोखिम सहने की क्षमता अलग हो सकती है और परिस्थितियों के अनुसार बदल भी सकती है।
जितना जोखिम उतना फायदा
वास्तविकता यह है कि हर व्यक्ति की परिस्थितियां और फाइनेंशियल कंडीशन अलग-अलग होती हैं। असेट एलोकेशन को समझने के लिए आपको जैसे-उम्र, व्यवसाय और आप पर निर्भर परिवार के सदस्यों की संख्या आदि की जानकारी होनी चाहिए। आप जितने युवा हैं उतने ही जोखिम भरे निवेश रख सकते हैं जिनसे आपको बेहतर रिटर्न मिल सकता है।
सही फंड चुनें
आप वही फंड चुनें जो आपकी जरूरतों के लिए उपयुक्त हो। इसके लिए सबसे पहले आपका आर्थिक लक्ष्य तय करें। उसी के हिसाब से निवेश करें। निवेश करने के पहले आपको तय कर लेना चाहिए कि किस फंड में निवेश करना है। सभी तरह के फंड निवेश के लिए अच्छे होते हैं। इनके बारे में जानकारी रखना जरूरी होता है।
पोर्टफोलियो में विविधता जरूरी
एक पोर्टफोलियो में कई असेट क्लास शामिल करना चाहिए। विविधता आपको किसी निवेश के खराब प्रदर्शन के दुष्प्रभाव से बचाती है। कभी-कभी किसी कंपनी या सेक्टर का प्रदर्शन बाकी बाजार की तुलना में ज्यादा खराब होता है। ऐसी स्थिति में अगर आपका पूरा पैसा उसी में नहीं लगा हो, तो निश्चित रूप से यह आपके लिए मददगार होता है। हालांकि ज्यादा तरह के फंडों में निवेश करना भी सही नहीं है।
पता करते रहें आपके निवेश का प्रदर्शन कैसा है
निवेश करने के बाद उसे भूलने जैसी लापरवाही न करें। इसके लिए जरूरी है कि पता करते रहें कि आपका निवेश कैसा प्रदर्शन कर रहा है? इस तरह की जानकारी के लिए म्यूचुअल फंड मंथली और क्वार्टरली फैक्ट शीट और न्यूजलैटर प्रकाशित होते हैं जिनमें इसके प्रदर्शन से जुड़ी जानकारी रहती है। इसके अलावा म्यूचुअल फंड की वेबसाइट पर प्रदर्शन के आंकड़े भी देख सकते हैं।
निवेश को बंद करना सही नहीं
कई बार देखा जाता है कि लोग कोरोना काल जैसे विपरीत समय या अन्य उतार-चढ़ाव वाले समय में स्कीम से पैसे को निकाल लेते हैं। लेकिन डर और लालच के आधार पर निवेश का फैसला नहीं लेना चाहिए। इसके लिए निवेशकों को म्यूचुअल फंड के असेट एलोकेशन या बैलेंस्ड एडवांटेज कैटेगरी का रास्ता अपनाना चाहिए। बीच में निवेश को बंद करना सही नहीं है।
SIP के जरिए निवेश करना रहेगा सही
म्यूचुअल फंड में एक साथ पैसा लगाने की बजाए सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी SIP द्वारा निवेश करना चाहिए। SIP के जरिए आप हर महीने एक निश्चित अमाउंट इसमें लगाते हैं। इससे रिस्क और कम हो जाता है क्योंकि इस पर बाजार के उतार चढ़ाव का ज्यादा असर नहीं पड़ता।
लंबे समय के लिए निवेश करें
इन स्कीमों में कम से कम 5 साल के टाइम पीरियड को ध्यान में रख कर निवेश करना चाहिए। ध्यान रहे कि छोटे समय में शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का असर आपके निवेश पर ज्यादा पड़ सकता है जबकि लंबे समय में यह खतरा कम हो जाता है।
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