कोरोना के हॉटस्पॉट देशों में वैक्सीन की कमी: अदार पूनावाला की कंपनी सीरम पूरा नहीं कर पाई वादा, सप्लाई की कमी से कई गरीब देशों में रुकने का नाम नहीं ले रहा संक्रमण
- Hindi News
- Business
- Coronavirus Covid 19 Vaccine Shortage And Supply Issues In Bangladesh Nepal
मुंबई18 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
दुनिया भर में बांग्लादेश से लेकर नेपाल, रवांडा तक कोरोना के हॉटस्पॉट बन चुके हैं। लेकिन इन देशों में टीकाकरण कार्यक्रम रुक गए हैं। इन देशों में वैक्सीन की आपूर्ति ही नहीं हो पा रही है। दरअसल, अदार पूनावाला की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट की तरफ से उम्मीद के मुताबिक सप्लाई नहीं हो पा रही है। कंपनी की तरफ से किए गए बड़े-बड़े दावे खोखले साबित हो रहे हैं।
WHO ने सीरम को टॉप सप्लायर घोषित किया
पिछले साल विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सीरम को कोवैक्स प्रोग्राम का टॉप सप्लायर बताया था। WHO ने कहा था कि वैक्सीन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी सीरम कई देशों में वैक्सीन सप्लाई करेगी। लेकिन कंपनी की पुणे फैक्ट्री में आग लगी, जिसके बाद एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया गया। इससे दूसरे देशों में हो रही वैक्सीन सप्लाई को बड़ा झटका लगा।
92 देशों को टीका सप्लाई करने का वादा था
सीरम 92 देशों को टीका सप्लाई करने का वादा किया था। लेकिन कंपनी अभी तक 20 करोड़ डोज में सिर्फ 3 करोड़ डोज ही सप्लाई कर सकी है। इसके चलते गरीब देशों का टीकाकरण कार्यक्रम बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
वैक्सीन की सप्लाई की दिक्कत ऐसे समय में सामने आई है जब WHO और दुनिया भर के पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि गरीब देशों में टीकाकरण की धीमी गति से कोरोना के अलग और खतरनाक वैरिएंट सामने आ सकते हैं। इससे महामारी और लंबी खिंच सकती है।
हर कंपनी की तरफ से समस्या आ रही है
हालांकि वैक्सीन की सप्लाई में विफलता सिर्फ सीरम की तरफ से ही नहीं, बल्कि अन्य वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स की तरफ से भी आ रही है। लेकिन, जो गरीब देश प्रभावित हैं, उनमें कई देशों को सीरम ने सप्लाई का वादा किया था। इस वजह से उन देशों में कोरोना से लड़ाई कमजोर पड़ती दिख रही है।
अप्रैल के बाद से एक्सपोर्ट नहीं
जानकारी के मुताबिक अप्रैल के बाद से सीरम ने कोई भी टीका विदेशों में नहीं भेजा है। दूसरी लहर के भयावह रूप लेने के बाद भारत सरकार ने इसके टीकों के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया।
40 करोड़ डोज सप्लाई करने का वादा
पिछले साल सीरम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने वादा किया था कि उनकी कंपनी साल 2020 के अंत तक एस्ट्राजेनेका के 40 करोड़ डोज गरीब देशों को सप्लाई करेगी। फिर साल 2021 की शुरुआत में इस कंपनी ने कहा कि इसने अब तक सिर्फ 7 करोड़ डोज ही बनाए हैं। क्योंकि कंपनी को यह नहीं बताया गया था कि भारत में इसे लाइसेंस कब मिलेगा। इसके अलावा कंपनी ने यह भी कहा कि इसके पास पर्याप्त वेयरहाउस की जगह नहीं है।
डायरेक्ट सप्लाई का एग्रीमेंट किया था
सीरम से कुछ देशों ने डायरेक्ट सप्लाई का एग्रीमेंट भी किया था। लेकिन अब ये देश नए सप्लायर ढूंढने पर मजबूर हैं। नेपाल भी उन देशों में एक है। यहां माउंट एवरेस्ट तक संक्रमण फैल चुका है, लेकिन सीरम की तरफ से वैक्सीन की सप्लाई नहीं हो पाई है। नेपाल ने कहा है कि उसे अब तक 20 लाख डोज में से सिर्फ 10 लाख डोज ही मिले हैं। जबकि 20 लाख डोज की सप्लाई मार्च तक की जानी थी।
नेपाल को भी नहीं मिली वैक्सीन
नेपाल के हेल्थ मिनिस्ट्री में वेलफेयर डिवीजन के डायरेक्टर तारा नाथ पोखराल ने कहा कि हम वैक्सीन की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं। 2.8 करोड़ की आबादी वाले नेपाल को अब तक महज 24 लाख डोज ही मिल सके हैं। इनमें 10 लाख सीरम की तरफ से डायरेक्ट सप्लाई हुई है, जबकि 10 लाख डोज भारत सरकार से ग्रांट में मिली हैं।
कंपनी के पास भारी मात्रा में वैक्सीन बनाने की क्षमता
वैक्सीन अलायंस गावी के सीईओ सेठ बर्कले ने बताया कि कोवैक्स सप्लायर के रूप में सीरम को इसलिए चुना गया क्योंकि इस कंपनी के पास भारी मात्रा में वैक्सीन उत्पादन करने की क्षमता थी। इसके अलावा कंपनी कम कीमत और कम समय में ज्यादा वैक्सीन देने की क्षमता रखती है। बर्कले ने आगे कहा कि सीरम ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता बढ़ाई है, जिससे भारत में और ज्यादा टीके का उत्पादन हो सकेगा।
हाल ही में सीरम ने कहा था कि साल 2021 के पहले वैक्सीन को निर्यात किए जाने की संभावनाएं बहुत कम है क्योंकि इसकी पहली प्राथमिकता भारत को टीके की आपूर्ति करना है। लेकिन दुनिया के दूसरे गरीब देश अभी भी वैक्सीन के लिए छटपटा रहे हैं। बांग्लादेश ने तो वैक्सीन का पहला डोज देने का अभियान ही बंद कर दिया है क्योंकि सीरम की तरफ से सप्लाई रुक गई है।
चीन की कंपनी भी चुनी जा सकती है
टीके की आपूर्ति की कमी को पूरा करने के लिए चीन के वैक्सीन निर्माता सिनोवेक बायोटेक लिमिटेड और सिनोफार्म ग्रुप सामने आ सकते हैं। इन्हें हाल ही में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने मान्यता दी है। चीन के वैक्सीन निर्माताओं की तरफ से टीके की सप्लाई से कुछ दक्षिण एशियाई देशों में टीकाकरण का अभियान पटरी पर आया है। लेकिन बड़े पैमाने पर टीके की कमी बनी हुई है।
Stay connected with us on social media platform for instant update click here to join our Twitter, & Facebook
We are now on Telegram. Click here to join our channel (@TechiUpdate) and stay updated with the latest Technology headlines.
For all the latest Education News Click Here
For the latest news and updates, follow us on Google News.