दूसरी लहर में बढ़ी लोन की मांग: जून में बढ़े गोल्ड लोन और व्हीकल लोन, पर्सनल लोन में आया 11.9% का उछाल
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7 घंटे पहले
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- नॉन फूड बैंक लोन जून में 5.9% बढ़ा था, सालभर पहले जून तिमाही में 6.0% की ग्रोथ रही थी
- खेती-किसानी के लिए 11.4% ज्यादा लोन लिए गए, इसमें पिछले जून में 2.4% की बढ़ोतरी हुई थी
जून में जब कोविड संक्रमण की दूसरी लहर चल रही थी, तब पिछले साल से 11.9% ज्यादा पर्सनल लोन लिए गए। उसमें गोल्ड लोन और व्हीकल लोन दोनों का आंकड़ा है, इसलिए एक तरह का विरोधाभास पैदा हो रहा है।
मतलब, लोगों ने जून में कोविड या दूसरी दिक्कतों की वजह से सोने के गहने गिरवी रखकर ज्यादा लोन लिए, लेकिन उसी महीने लोगों ने गाड़ियां खरीदने के लिए ज्यादा कर्ज भी लिए।
इन बातों का पता रिजर्व बैंक की सेक्टोरल डिप्लॉयमेंट ऑफ बैंक क्रेडिट- जून 2021 रिपोर्ट से चलता है। RBI की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल जून में पर्सनल लोन की सालाना ग्रोथ 10.4% थी।
जून में 5.9% बढ़ा था नॉन फूड बैंक लोन
बैंक लोन के आंकड़े 33 कमर्शियल बैंकों से जुटाए गए हैं, जिन्होंने लगभग 90% लोन नॉन फूड क्रेडिट के तौर पर बांटा हुआ था। नॉन फूड बैंक लोन में सालाना बढ़ोतरी को देखेंगे, तो पाएंगे कि जून में इसमें 5.9% का इजाफा हुआ था, जो सालभर पहले 6.0% था।
बैंक लोन ग्रोथ में अच्छी बात यह रही कि इस दौरान खेती किसानी और उससे जुड़े काम के लिए सालाना आधार पर 11.4% ज्यादा लोन लिए गए। पिछले साल कोविड की शुरुआत यानी जून में इसमें 2.4% की बढ़ोतरी हुई थी।
इंडस्ट्री को बैंक लोन में 0.3% की कमी
इस साल जून में इंडस्ट्री को मिले बैंक लोन में सालाना आधार पर 0.3% की कमी आई, लेकिन पिछले साल जून में इसमें सालाना आधार पर 2.2% की बढ़ोतरी हुई थी। जून में मझोले उद्यमों को 54.6% ज्यादा लोन मिला, जबकि पिछले साल 9% की कमी आई थी।
माइक्रो और स्मॉल इंडस्ट्रीज (MSME) को मिले बैंक लोन में सालाना आधार पर 6.4% की बढ़ोतरी हुई, जबकि साल भर पहले जून में इसमें 2.9% की कमी आई थी। हालांकि, इस जून में बड़ी कंपनियों को 3.4% कम लोन मिला, जबकि पिछले साल इसी दौरान उनको 3.6% ज्यादा लोन मिला था।
सर्विसेज सेक्टर की लोन ग्रोथ घटकर 2.9% रही
कमर्शियल रियल एस्टेट, NBFC और टूरिज्म, होटल और रेस्टोरेंट की मांग कम होने से सर्विसेज सेक्टर की लोन ग्रोथ घटकर 2.9% रह गई, जो पिछले साल जून में 10.7% थी।
अच्छी बात यह रही कि MSME को राहत पैकेज के तौर पर ऑफर की गई सरकारी सपोर्ट वाली इमर्जेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ECLGS) से इंडस्ट्री की लोन ग्रोथ में इजाफा हुआ, नहीं तो वह नेगेटिव हो जाता।
दो तरह के होते हैं लोन- फूड और नॉन फूड क्रेडिट
बैंक जो लोन बांटते हैं, वह दो प्रकार का होता है- फूड क्रेडिट और नॉन फूड क्रेडिट। बैंक जो लोन अनाज की खरीदारी के लिए फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) को देते हैं, वह फूड क्रेडिट कहलाता है।
बैंकों के टोटल लोन में फूड क्रेडिट का हिस्सा बहुत कम होता है। बैंक लोन का सबसे बड़ा हिस्सा नॉन फूड क्रेडिट का होता है। यह एग्रीकल्चर, इंडस्ट्री और सर्विसेज जैसे इकोनॉमिक सेक्टर को दिया जाता है।
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