पैरालिंपिक के गोल्ड मेडलिस्ट सुमित अंतिल का इंटरव्यू: सुमित बोले- नीरज चोपड़ा की तरह जेवलिन में गोल्ड जीतकर खुश, इंडियन आर्मी शामिल न होने पाने का हमेशा रहेगा मलाल
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टोक्यो11 घंटे पहलेलेखक: राजकिशोर
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टोक्यो पैरालिंपिक खेलों में सोमवार को सुमित अंतिल ने देश को दूसरा गोल्ड मेडल दिलाया। सुमित ने जेवलिन थ्रो की F64 कैटेगरी में वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल अपने नाम किया। उन्होंने फाइनल में 68.55 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ मेडल जीता। सोनीपत के रहने वाले सुमित टोक्यो ओलिंपिक में जेवलिन में गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा से प्रभावित हैं। भास्कर ने सुमित के भविष्य की योजनाओं और उनके संघर्ष को लेकर उनसे बातचीत की।
वह कहते हैं, “जब टोक्यो में नीरज ने गोल्ड जीता, तो मुझे लगा कि मैं भी ला सकता हूं। मैं टोक्यो में देश के लिए मेडल जीतने से खुश हूं, पर शायद मुझे हमेशा अफसोस रहेगा, कि मैं उनकी तरह आर्मी में नहीं हूं। मैं आर्मी में जाना चाहता था, पर एक्सीडेंट में एक पैर गंवाने के बाद ऐसा संभव नहीं है।”
प्रस्तुत हैं सुमित से बातचीत के प्रमुख अंश
टोक्यो में नीरज चोपड़ा के मेडल ने आपको कितना प्रेरित किया?
पैरालिंपिक्स से पहले टोक्यो में नीरज ने भारत के 124 साल के ओलिंपिक इतिहास में ट्रैक एंड फील्ड में जेवलिन में देश के लिए गोल्ड मेडल जीता। उनका यह गोल्ड मेडल हमारे लिए प्रेरणा देने वाला था। मुझे लगा कि वह देश के लिए गोल्ड मेडल जीत सकते हैं, तो मैं क्यों नहीं मेडल जीत सकता हूं। मेरी तैयारी अच्छी थी, मैं ट्रेनिंग में बेहतर थ्रो कर रहा था। ऐसे में उनके मेडल जीतने के बाद मानसिक रूप से मजबूती मिली।
क्या आप नीरज चोपड़ा से कभी मिले हैं, और उन्होंने आपको क्या कहा?
ओलिंपिक में मेडल जीतकर लौटने के बाद उनका बिजी शेड्यूल था। ऐसे में मुलाकात नहीं हो पाई। हालांकि, ट्रेनिंग के दौरान उनसे दो-तीन बार मुलाकात हुई है। उन्होंने मुझे थ्रो करते हुए देखा, तो कहा था कि आपके अंदर पावर काफी है। बस आप तकनीक पर ध्यान दें, तो जरूर ही कामयाब होंगे। उनके सुझाव पर मैं अपने कोच नवल सिंह सर और वीरेंद्र धनकड़ के मार्गदर्शन में तकनीक पर ज्यादा फोकस किया और मेडल जीतने में सफल हुआ। मेरा यह गोल्ड नीरज चोपड़ा सहित अपने कोच को समर्पित है। अब यहां से लौटने के बाद नीरज चोपड़ा से जाकर मिलूंगा।
क्या आप एथलेटिक्स में ही आना चाहते थे या आप कुछ और इवेंट करना चाहते थे?
मैं योगेश्वदत्त से प्रेरित था, मैं उनकी तरह ओलिंपिक में कुश्ती में देश के लिए मेडल जीतना चाहता था। मैं बचपन में अखाड़े भी जाता था। साल 2015 में जब मैं 12 वीं में पढ़ रहा था, तो शाम को बाइक से ट्यूशन पढ़कर लौट रहा था। उसी दौरान पीछे से सीमेंट के कट्टों से भरी एक ट्रैक्टर-ट्रॉली ने आकर टक्कर मार दी थी और काफी दूर तक मुझे घसीटते हुए ले गई थी। अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने घुटने से नीचे बाएं पैर को काट दिया। मेरा ओलिंपिक में मेडल जीतने का सपना चूर हो गया।
मुझे स्पोर्ट्स पसंद था, मुझे वीरेंद्र सर ने पैरा एथलेटिक्स के बारे में बताया और मुझे नवल सर के पास भेजा, नवल सर ने मुझे जेवलिन करने की सलाह दी। मैं उनके मार्गदर्शन में जेवलिन की ट्रेनिंग करने लगा।
क्या पैरालिंपिक में मेडल जीतने के बाद आपका ओलिंपिक में मेडल जीतने का सपना पूरा होता नजर आ रहा है?
ओलिंपिक में कुश्ती में मेडल जीतने का सपना बेशक पूरा नहीं हो सका, पर पैरालिंपिक में जेवलिन में गोल्ड जीतकर खुश हूं। मुझे इस बात की खुशी है कि नीरज की तरह मैंने जेवलिन में देश को पैरालिंपिक में गोल्ड दिलाया।
मुझे हमेशा इस बात का अफसोस रहेगा, कि मैं उनकी तरह फौजी नहीं बन पाया। मेडल जीतने का सपना तो पूरा हो गया, पर फौजी बनने का सपना शायद ही कभी पूरा हो पाएगा। मेरे पापा एयरफोर्स में थे, मैं भी बचपन से आर्मी में जाना चाहता था, पर मैं आर्मी के लिए अब फिट नहीं हूं।
हालांकि पैरालिंपिक में मेडल जीतने के बाद कहीं न कहीं नौकरी मिल जाएगी, पर सेना में नौकरी नहीं मिल पाने का मलाल हमेशा ही रहेगा।
2015 में हुए एक सड़क हादसे में सुमित को अपना एक पैर गंवाना पड़ा था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने पहले पैरालिंपिक खेल में गोल्ड जीतने में सफल रहे।
पैर गंवाने के बाद आपको किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
एक्सीडेंट के बाद मेरा बायां पैर घुटने के नीचे से कट गया था, नकली पैर लगा था। मेरे दोस्त चिढ़ाते थे। वहीं मां भी लोगों के ताने से परेशान रहती थी। हम लोग चार भाई-बहन हैं। तीन मेरी बहनें बड़ी हैं। लोग मुझे लेकर कई बार मां को कुछ कहते, तो मुझे बुरा लगता था, वहीं कुछ अच्छे लोग भी थे, जो प्रेरित करते थे। मैं नेगेटिव बातों को छोड़कर अपने काम पर फोकस करता था।
आपका अगला टारगेट क्या है?
मेरा अगला टागरेट कॉमनवेल्थ, एशियन गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप में अपना बेस्ट प्रदर्शन करते हुए देश के लिए मेडल जीतना है।
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