भास्कर इंटरव्यू: आने वाले पांच साल में 50 हजार करोड़ रुपए की हो जाएगी देश की ड्रोन इंडस्ट्री: स्मित शाह
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नई दिल्ली31 मिनट पहले
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भारत में ड्रोन यानी अनमैन्ड एयरक्राफ्ट सिस्टम की इंडस्ट्री अगले 5 वर्षों में 10 गुना तक बढ़कर 50 हजार करोड़ रुपए की हो सकती है। इससे अगले 3 वर्षों में 10 हजार और 5 वर्षों में लगभग 20 हजार लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। देश में ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए बनी गैर लाभकारी संस्था ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर स्मित शाह ने दैनिक भास्कर के अजय तिवारी से बातचीत में यह जानकारी दी। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
भारत में ड्रोन और उनके उपयोग से संबंधित नियम रेगुलराइज हुए हैं। इससे भारत में ड्रोन के उपयोग को लेकर क्या बदलाव आएगा?
ड्रोन या अनमैन्ड एरियल व्हीकल (यूएवी) या इसे अनमैन्ड एयरक्राफ्ट सिस्टम (यूएएस) भी कहा जाता है। रेगुलराइजेशन से पहले भारत में ड्रोन का परिचालन गैरकानूनी ढंग से हो रहा था, लेकिन अब यह सेक्टर कानूनी तरीके से ग्रो कर सकेगा। पहले के नियमों में कई विसंगतियां थीं, जो दूर कर ली गई हैं। अब देश में ड्रोन का निर्माण और परिचालन काफी आसान हो गया है। इससे इस क्षेत्र में नए स्टार्टअप आएंगे और रोजगार बढ़ेगा।
ड्रोन इंडस्ट्री का फिलहाल कितना टर्नओवर है और अगले पांच वर्षों में कितना होने का अनुमान है?
फिलहाल ड्रोन इंडस्ट्री 5,000 करोड़ की है। सरकार का अनुमान है कि यह 5 वर्षों में 15 से 20 हजार करोड़ की इंडस्ट्री होगी। लेकिन हमारा अनुमान है कि 2026 तक यह 50,000 करोड़ के टर्नओवर तक पहुंच सकती है।
ड्रोन इंडस्ट्री बढ़ने से कितने रोजगार पैदा होंगे?
अभी यह इंडस्ट्री अपने शुरुआती चरण में है। लेकिन खुद सरकार का अनुमान है कि 3 साल के भीतर लगभग 10,000 नई नौकरियां पैदा होंगी। हमारा अनुमान है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से यह आंकड़ा इससे काफी अधिक हो सकता है।
किस तरह की नौकरियों के अवसर पैदा होंगे?
ये पूरी तरह व्हाइट कॉलर जॉब होंगे। ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग, असेंबलिंग, मेंटेनेंस और रिपेयर के अलावा सॉफ्टवेयर डेवलपर और ड्रोन-पायलट के रूप में देश में बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होंगे। ड्रोन पायलटों के लिए ट्रेनिंग सेंटर भी खुलेंगे, जिनसे कई लोगों को रोजगार मिलेगा। जैसे-जैसे इंडस्ट्री ग्रो करेगी, रोजगार की संख्या बढ़ती जाएगी।
सरकार की पीएलआई स्कीम का ड्रोन इंडस्ट्री को क्या फायदा मिलेगा?
भारत सरकार ने ड्रोन और ड्रोन कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए पीएलआई स्कीम मंजूर की है। इससे इस सेक्टर में अगले 3 वर्षों में 5 से 10 हजार करोड़ का निवेश होने की उम्मीद है। पीएलआई योजना से भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के लिए भारत में ड्रोन, उनके कलपुर्जों और सॉफ्टवेयर के निर्माण और निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा।
ड्रोन का उपयोग किन-किन क्षेत्रों में होता है?
ड्रोन के मुख्यत: तीन उपयोग होते हैं, सर्वे, निरीक्षण और डिलीवरी। एरियल सर्वेक्षण के अलावा, पाइपलाइन, विंडमिल इत्यादि के निरीक्षण, डिफेंस के लिए और पहुंच विहीन इलाकों में दवाएं और जरूरी सामग्री पहुंचाने में ड्रोन काम आते हैं। इसके अलावा एरियल फोटोग्राफी, सिनेमेटोग्राफी में भी काम आते हैं। यही नहीं एयर टैक्सी के लिए भी ड्रोन का इस्तेमाल संभव है।
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