मैच से पहले पिता बोले: मैनें मेरीकॉम को रोते देखा, तुम ऐसा खेलना कि ज्यूरी को शंका न रहे

सोनीपत3 घंटे पहलेलेखक: अनिल बंसल

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  • बॉक्सर लवलीना के पिता ने कहा- बेटी ने मां का ख्याल रख मेडल पक्का किया

मैंने मेरीकॉम को रोते हुए देखा है, तुम ऐसा खेल दिखाना कि ज्यूरी के मन में कोई शंका ही ना रहे। पिता की यह बात मेरे मन में थी और मैने तय किया कि मैं अपना स्वाभाविक खेल खेलूंगी, रिंग से पहले रिजल्ट की सोच थी, लेकिन जब उतरी तो सिर्फ बेस्ट देना चाहती थी। बेशक ओलिंपिक मेडल पक्का हो गया है, लेकिन यह मेरी मंजिल नहीं है, मेरी मंजिल गोल्ड है, तब तक किसी और चीज के बारे में सोचा भी नहीं जाएगा।

यह कहना असम की लवलीना बोरगोहेन का है। जिन्होंने शुक्रवार को ओलिंपिक मेडल पक्का किया। लवलीना ने कहा कि अन्य खिलाड़ियों की तरह उनका सपना भी ओलिंपिक गोल्ड जीतना है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिकांश मेडल ब्रांज व सिल्वर हैं। मैं चाहती हूं कि ओलिंपिक गोल्ड जीतूं। लवलीना देश की तीसरी ऐसी खिलाड़ी बन गईं हैं जिसके नाम बॉक्सिंग में ब्रॉन्ज पक्का हो चुका है, इससे पहले मेरीकॉम व विजेन्द्र सिंह ने ब्रॉन्ज जीता था।

क्वार्टर फाइनल में पूर्व विश्व विजेता निएन चिन चेन को 4-1 से हराना महत्वपूर्ण रहा। मैच में हर खिलाड़ी की तरह ही मुझ पर भी दबाव था, लेकिन मैं इसे बेहतर ढंग से संभाल सकी। कोशिश करूंगी कि आगे भी जीत की लय बनाए रखूं। मेरीकॉम के लिए दुख है, क्योंकि महिला मुक्केबाजी में उन्हीं से प्रेरणा लेती हूं। पहले मैं काउंटर अटैक के बजाए डिफेंस पर ज्यादा यकीन रखती थी, खुद पर काउंटर अटैक की चिंता होती थी, लेकिन अब अपने फुटवर्क के साथ काउंटर अटैक को लेकर अपनी सोच बदली है, यही कारण है कि आज के मुकाबले में पूर्व चैंपियन के खिलाफ चढ़ कर खेली।

दबाव बनाकर उन्ही को गलती करने पर मजबूर किया। एक बार मेरे पिता मेरे लिए मिठाई लाए. मिठाई जिस अखबार में लपेटकर लाए थे उसमें मोहम्मद अली के कॅरिअर का किस्सा था, तब पिता ने कहा कि तुम्हें मुक्केबाजी करनी चाहिए, बस वही से मुक्केबाजी शुरू की और आगे बढ़ती गई। हमेशा मोहम्मद अली की तरह खेलने की कोशिश की और आज के मैच में भी मोहम्मद अली की तरह खेलना ही सबसे ज्यादा फायदेमंद रहा। – जैसा कि बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन ने मैच जीतने के बाद बताया

जब तक ओलिंपिक नहीं तब तक नौकरी नहीं: कोच
लवलीना की शुरुआती कोच असम की बोबी परनामिका ने दैनिक भास्कर से मुकाबले के बाद बातचीत की। उन्होंने बताया कि लवलीना को खेल में ऊंचाई तक ले जाने में दो चीजों की अहम भूमिका रही है। पहले उसने खेल में आगे बढ़ने के लिए भी कम संसाधनों का रोना नहीं रोया। यहां तक कि जब ट्रैक शूट से लेकर अन्य संसाधन भी नहीं होते तो कहती थी मेरे मुक्कों में दम होगा तो सब मिलेगा। खुद पर इतना यकीन था कि रेलवे से लेकर राज्य सरकार से भी नौकरी के ऑफर थे, लेकिन जॉइन नहीं किया। वो ओलिंपिक पर ही पूरा फोकस करना चाहती थी। दूसरी बात यह कि आजकल खिलाड़ी अपने हिसाब से कोच को चलाते हैं वहां लवलीना ने हर कोच को बराबर सम्मान दिया। उन्होंने किसी भी कोच की बात को इग्नोर नहीं किया।

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