सस्ता नहीं होगा पेट्रोल-डीजल: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बोलीं- एक्साइज ड्यूटी कम नहीं कर सकते, महंगे फ्यूल के लिए UPA सरकार जिम्मेदार
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नई दिल्ली9 घंटे पहले
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने महंगे फ्यूल के लिए पिछली यानी UPA सरकार पर जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि हम उनके बोझ ढो रहे हैं। ऐसे में पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने की संभावना कम है। ये बात उन्होंने तमिलनाडु सरकार की ओर से एक लीटर पेट्रोल की कीमत 3 रुपए घटाने से जुड़े सवाल पर जवाब में कही।
UPA सरकार के ऑयल बॉन्ड का कर्ज चुका रहे हम
वित्त मंत्री ने सोमवार को कहा कि मनमोहन सरकार ने पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के दाम घटाने के लिए 1.44 लाख करोड़ रुपए के ऑयल बॉन्ड जारी किए थे। इसका भुगतान हमें करना पड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2021 तक 1.31 लाख करोड़ रुपए की आउटस्टैंडिंग रही। 2026 तक सरकार को ब्याज के रूप में ही 37,340 करोड़ रुपए का भुगतान करना है। ऐसे में एक्साइज ड्यूटी घटाकर पेट्रोल-डीजल के दाम कम करना मुमकिन नहीं है।
70,196 करोड़ रुपए का ब्याज भरा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले 5 साल में ऑयल बॉन्ड पर 70,196 करोड़ रुपए का ब्याज भरा है। UPA सरकार ने 2005-2009 के दौरान ऑयल बॉन्ड जारी कर फंड जुटाया। इससे 2008 में फाइनेंशियल क्राइसेज के बावजूद फ्यूल प्राइसेज के दाम नहीं बढ़े। UPA सरकार ने ऑयल बॉन्ड जारी कर ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMC) से कर्ज लिए। ऐसे में मौजूदा सरकार को इसका भुगतान करने में मुश्किल हो रही है।
तमिलनाडु सरकार ने फ्यूल टैक्स में की कटौती
केंद्र सरकार का बयान ऐसे में समय पर आया है, जब तमिलनाडु सरकार ने फ्यूल टैक्स में 3 रुपए की कटौती की गई। राज्य सरकार के इस ऐलान के बाद उसे हर साल 1,160 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।
टैक्स के बाद 2 गुना से ज्यादा महंगा हो जाता है पेट्रोल-डीजल
देश में पेट्रोल का बेस प्राइस 41 और डीजल का 42 रुपए है। केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से लगने वाले टैक्स से इनकी कीमतें देश के कई हिस्सों में 110 रुपए के पार पहुंच गई हैं। केंद्र सरकार पेट्रोल पर 33 और डीजल पर 32 रुपए एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है।
इसके बाद राज्य सरकारें इस पर अपने हिसाब से वैट और सेस वसूलती हैं। इससे पेट्रोल-डीजल के दाम बेस प्राइस से 2 गुना से ज्यादा बढ़ जाते हैं। देश में पेट्रोल पर 56 और डीजल पर 45 रुपए प्रति लीटर से भी ज्यादा टैक्स वसूला जाता है।
पेट्रोल/लीटर (रु.) | डीजल/लीटर (रु.) | |
बेस प्राइस | 41.24 | 42.00 |
भाड़ा | 0.36 | 0.33 |
एक्साइज ड्यूटी | 32.90 | 31.80 |
डीलर कमीशन | 3.84 | 2.60 |
वैट | 23.50 | 13.14 |
कुल कीमत | 101.84 | 89.87 |
नोट: ये आंकड़े 16 अगस्त को दिल्ली में पेट्रोल-डीजल की कीमत के हिसाब से हैं।
29 दिन से फ्यूल की कीमतें स्थिर
देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपए और डीजल के दाम 90 रुपए के पार पहुंच गया है। हालांकि, जब से हरदीप सिंह पुरी नए पेट्रोलियम मंत्री बने हैं, तब से दाम स्थिर हैं। 18 जुलाई से लगातार 29 दिनों तक दाम कम या ज्यादा नहीं हुए हैं। दिल्ली में IOC के पंप पर पेट्रोल 101.84 रुपए और डीजल 89.87 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है।
क्या होता है ऑयल बॉन्ड?
केंद्र सरकार ने 2005 से लेकर 2009 के बीच 4 लाख करोड़ रुपए के ऑयल बॉन्ड इश्यू किए थे। ऑयल बॉन्ड इश्यू करने का आसान शब्दों में मतलब ये है कि किसी सामान की खरीद पर नकद पेमेंट न कर, इसके बदले एक लेटर पर लिखकर दे देना कि आने वाले वक्त में सूद समेत पूरी कीमत दी जाएगी। इससे सरकार को ये फायदा है कि उससे तुरंत कैश नहीं देना होगा।
इन बॉन्ड्स को एक तय वक्त के लिए इश्यू किया गया था। तब फ्यूल पर सब्सिडी मिलती थी। मतलब ग्लोबल मार्केट में रेट कुछ भी हो सरकार अपने हिसाब से इसे तय करती थी । 2008 की वैश्विक मंदी में जब तेल कंपनियों की हालत खराब हुई तो उन्होंने सरकार से ऑयल बॉन्ड की जगह कैश मांगना शुरू किया। फिर 2010 में ऑयल बॉन्ड पेमेंट सिस्टम बंद कर दिया गया । 2005 से 2009 के बीच जो बॉन्ड इश्यू किए गए थे। उनकी अवधि 2022 से 2026 के बीच पूरी हो रही है।
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