सेबी को SAT का तगड़ा झटका: NSE के को-लोकेशन मामले में 6 हजार करोड़ पर रोक हटाई, 5 सालों से सेबी ने रोक लगाई थी
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- SEBI SAT ORDER UPdate; Securities Appellate Tribunal Allowed Exchange To Withdraw Over Rs 6000 Crore
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मुंबई2 दिन पहले
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- SAT ने कहा कि NSE इस पैसे का उपयोग कर सकता है
- अब इस मामले में 11 जून को सुनवाई की जाएगी
शेयर बाजार रेगुलेटर सेबी को इसकी अपीलेट बॉडी SAT ने तगड़ा झटका दिया है। SAT ने NSE के को-लोकेशन के मामले में 6 हजार करोड़ रुपए की डिपॉजिट पर रोक हटा दी है। SAT ने कहा कि NSE इस पैसे का उपयोग कर सकता है। यह पैसा पिछले 5 सालों से पड़ा हुआ है।
इसी हफ्ते जारी हुआ ऑर्डर
सैट ने इसी हफ्ते एक ऑर्डर जारी किया। ऑर्डर में इसने NSE को इस पैसे का उपयोग करने की मंजूरी दे दी। यह 6 हजार करोड़ एक अकाउंट में लॉक था। इस लॉक का आदेश सेबी ने दिया था। सितंबर 2016 में सेबी ने NSE से कहा था कि वह को-लोकेशन के जरिए हासिल किए गए 6 हजार करोड़ रुपए के रेवेन्यू को एक अलग अकाउंट में जमा कराए। इस फंड को NSE को उपयोग करने पर रोक लगी थी।
2019 में ऑर्डर पास हुआ था
31 मार्च 2021 तक यह रकम 6,085 करोड़ रुपए थी। 2019 में सेबी ने NSE के खिलाफ एक ऑर्डर पास किया। इसमें कहा गया कि NSE 625 करोड़ रुपए जमा कराए। इसके खिलाफ भी NSE ने SAT में अपील की है। हालांकि इस पर अभी कोई फैसला नहीं आया है। SAT ने अपनी सुनवाई में कहा कि सेबी के 2016 के आदेश में सुधार की जरूरत है। SAT ने कहा कि जब जांच पूरी हो गई है तो जो अलग से अकाउंट खोला गया था, जिसमें 6 हजार करोड़ रुपए हैं, उसे बंद किया जाना चाहिए।
बिजनेस के लिए किया जा सकता है पैसे का उपयोग
सैट ने कहा कि जो भी पैसा है, उसका उपयोग NSE अपने बिजनेस के लिए कर सकता है। SAT ने कहा कि वह को-लोकेशन मामले में जून में सुनवाई करेगी। यह मामला 2019 से SAT में लंबित है। SAT ने मार्च 2020 में इस मामले को रिजर्व रखा था और उसके बाद कोरोना शुरू हो गया था। इसकी वजह से ट्रिब्यूनल का फंक्शन रुक गया था। SAT ने कहा कि अब इस मामले की सुनवाई 11 जून को होगी।
4,464 करोड़ रुपए का फायदा
NSE को वित्त वर्ष 2021 में 4,464 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हुआ है जो एक साल पहले की तुलना में 76% ज्यादा है। NSE ने कहा कि सेबी ने जो पैसे अटका रखे हैं, उसकी वजह से वह डिविडेंड नहीं दे पा रहा है। यदि SAT इस पर से रोक हटाता है तो वह डिविडेंड देने के बारे में सोच सकता है। उसने कहा कि उसके पास पर्याप्त कैश नहीं है जिससे वह डिविडेंड नहीं दे पा रहा है।
सेबी को कई झटके लगे हैं
वैसे सेबी को SAT का यह पहला झटका नहीं है। कई मामलों में SAT ने सेबी को जमकर लताड़ लगाई है। पर सेबी तो अब यहां तक कहता है कि SAT कोई संवैधानिक संस्था है ही नहीं। पिछले दिनों ही कार्वी और एक्सिस बैंक के मामले में SAT ने सेबी को जमकर लताड़ा था। शेयर मार्केट रेगुलेटर सेबी की हरकतों से तंग आकर इसकी अपीलेट बॉडी SAT ने सुप्रीमकोर्ट में सेबी के खिलाफ जनहित याचिका यानी PIL दायर कर दिया है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोई ट्रिब्यूनल रेगुलेटर के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में PIL फाइल करे।
सेबी ने खेले कानूनी दांव
मामले की सुनवाई हुई तो सेबी ने इसमें कानूनी दांव खेलना शुरू कर दिया। सेबी ने एक एफिडेविट देकर कहा कि SAT के अंदर दो ज्यूडिशियल सदस्य और एक टेक्निकल सदस्य होना चाहिए। टेक्निकल सदस्य 31 मार्च को रिटायर हो गए थे। सेबी ने कहा कि जब तक टेक्निकल सदस्य नहीं होगा, हम SAT के ऑर्डर को नहीं मानेंगे। सैट ने कहा कि सदस्य की नियुक्ति करने का अधिकार सरकार का है और यह सरकार जब करेगी तब करेगी। लेकिन इससे हमारे फैसले पर कोई असर नहीं होना चाहिए।
SAT ने सेबी का ऑर्डर रिजेक्ट किया
पिछले दिनों सुनवाई के दौरान सैट ने सेबी का ऑर्डर रिजेक्ट कर दिया। सैट ने सोमवार को एक 44 पेज का ऑर्डर जारी किया। इसमें उसने कहा कि वित्त मंत्रालय या तो टेक्निकल सदस्य की नियुक्ति करे या नियम बदले। SAT ने इसी ऑर्डर में सेबी की शिकायत भी की है। सैट ने 6 मई को इस पर बहस की थी। 6 मई को सेबी ने सीधे तौर पर कहा था कि जो SAT ट्रिब्यूनल है वह कानूनी तौर पर सही गठित नहीं है। इस पर SAT ने एक लंबा चौड़ा ऑर्डर जारी कर दिया। SAT ने ऑर्डर में कहा है कि रजिस्टर्ड कापी सुप्रीमकोर्ट में भेजी जाए और इसे सेबी के खिलाफ PIL मानी जाए।
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