सैमसन-उमरान के सवाल पर हार्दिक: बाहरी बातों से फर्क नहीं पड़ता, सबको मौका मिलेगा और लंबा मौका मिलेगा

नेपियर11 मिनट पहले

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टी-20 वर्ल्ड कप के बाद BCCI सीमित-लंबे फॉर्मेट की टीमों के लिए अलग-अलग कप्तान बनाने का मन बना रहा है। पिछले साल IPL की नई नवेली टीम गुजरात टाइटंस को चैंपियन बनाने वाले हार्दिक पंड्या को टी-20 टीम का कप्तान माना जा रहा है। एक्सपर्ट भी कह रहे हैं कि पंड्या को टी-20 टीम की कमान सौंप देनी चाहिए।

29 साल के पंड्या दोनों मौकों पर बोर्ड की उम्मीदों पर खरे उतरे हैं। उनकी लीडरशिप में टीम इंडिया ने मंगलवार को न्यूजीलैंड को उसी के घर में टी-20 सीरीज में 1-0 से हराया है। उनकी कप्तानी में टीम ने आयरलैंड से दो मैचों की सीरीज जीती थी।

नेपियर में 3 मैचों की सीरीज के आखिरी मुकाबले के बाद पंड्या ने मीडिया से चर्चा की। उन्होंने टीम परफॉर्मेंस और कप्तानी पर बात की। इन सवालों के जवाबों के जरिए हमने जाना- कैसा होगा भविष्य का कप्तान पंड्या.ह धोनी की तरह कैप्टन कूल साबित होगा या फिर कोहली जैसा एग्रेसिव। पढ़िए एक कप्तान के तौर पर पंड्या का विजन…फिलॉसफी…और प्लांस…

सबसे पहले पंड्या के शब्दों में एग्रेसिव क्रिकेट
‘एग्रेशन, एक गेंदबाजी यूनिट के तौर पर एग्रेशन हर बॉल में विकेट के लिए जाने या फिर हर बॉल पर बाउंड्री जमाने की बात नहीं है। यह आपकी बॉडी लैंग्वेज और बिहेवियर पर दिखना चाहिए।’

अब पंड्या एक कप्तान के तौर पर…

1. एक विजन : यह सीरीज एक नई जर्नी की शुरुआत
सवाल –
एक कप्तान के तौर पर इस सीरीज का परफॉर्मेंस कैसे देखते हैं?
काफी छोटा टूर था। सबसे अहम यह था कि दूसरे मैच को हमने जीता, वह कॉन्फिडेंस देगा। दूसरी बात कि आगे हमें जो करना है या हम जो करना चाहते हैं, यह उसका एक स्टेप है। धीरे-धीरे जाने के लिए क्योंकि हमारे पास काफी टाइम है। यहां से एक जर्नी शुरू हुई है। कोशिश करेंगे कि अब जितनी भी सीरीज खेलें। खुद को बेहतर करें।

2. फिलासिपी : खिलाड़ी को उसके तरीके से खेलने की स्वतंत्रता मिले
सवाल-
वर्ल्ड कप में टीम इंडिया को कंजर्वेटिव क्रिकेट के लिए क्रिटिसाइज किया गया। यहां एग्रेसिव ईशान-पंत को आजमाया। एक कप्तान के तौर पर पंड्या की फिलॉसफी क्या है?
जवाब: खिलाड़ी को जितना फ्रीडम दे सकूं…दूं। एक अच्छा माहौल दूं, ताकि प्लेयर जाकर बिंदास खेले। जैसा वह खेलना चाहता है। और उस पर किसी तरह का दबाव भी न हो। आगे वही रहेगा… हम एक तरीके से नहीं खेलेंगे। कोशिश रहेगी कि इंजॉय करें। जाओ, बिंदास अगर आपको लगता है कि पहली बॉल से मारना है तो बिंदास जाओ और मारो। हम आपको हमेशा सपोर्ट करेंगे और कोशिश करेंगे कि प्लेयर खुल कर खेलें।

3. सिलेक्शन : कोच और मुझे जो ठीक लगेगा…करेंगे
सवाल- यहां आने से पहले कई बातें हो रही थीं। जैसे- संजू को मौका मिलना चाहिए, तो कोई उमरान की बात कर रहा था। आप यंग कैप्टन हैं, चीजों को कैसे डील करते हैं?
जवाब : बाहर कौन क्या कह रहा है उससे इस लेवल पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। जहां तक सिलेक्शन की बात है- यह मेरी टीम है, कोच और मुझे जो ठीक लगेगा। जो साइड हमें चेक करनी है करेंगे…बहुत समय है। सब को मौका मिलेगा और लंबा मिलेगा। ज्यादा कठिन नहीं है। सीरीज छोटी थी। इसलिए कुछ लोगों को मौका नहीं मिला। मैच ज्यादा होते तो मौका मिलता।

गेम कम थे और मैं ज्यादा चिप एंड चेंज में विलीव नहीं करता हूं और आगे भी बिलीव नहीं करूंगा।

4. कप्तानी का तरीका: जिस तरीके से मैं गेम देखता हूं, मैं उस तरीके से कप्तानी करूंगा
सवाल: हर कोई कह रहा है पंड्या को कप्तानी दी जाए। क्या आपने उस जोन में सोचना शुरू कर दिया है कि मैं टीम को कहां ले जाना चाहता हूं?
जवाब : मेरा मानना है कि जब तक चीजें होती नहीं है, मैं सोचता नहीं हूं।
मेरा फंडा सिंपल है…चाहे मैं एक सीरीज करूं…दो सीरीज करूं या फिर एक मैच करूं…जिस तरीके से मुझे खेलना है क्रिकेट, जिस तरीके से मैं गेम देखता हूं, मैं उस तरीके से कप्तानी करूंगा। मेरा पॉइंट क्लियर है…जब-जब मौका मिलेगा, मैं कोशिश करूंगा कि उस तरीके से जाऊं। जिस टाइप का क्रिकेट खेलना है। एज ए यूनिट उस तरीके का क्रिकेट दिखा पाएं। उस पर ही फोकस है।

5. लीडरशिप: मेरा नेचर ही ऐसा है कि मैं सबको साथ लेकर चलता हूं
सवाल: पिछले साल में एक चेंज पंड्या दिखा है। अपने चयन से सभी को खुश रखना कठिन या सरल?
जवाब : कठिन नहीं होता है। यह निर्भर करता है कि आप कैसे हैंडल करते हैं। मेरा सिंपल है, मेरे रिलेशन हर प्लेयर के साथ बराबर अच्छे हैं और अगर मैं किसी को नहीं खिला पा रहा हूं, तो उसे भी पता है कि इसमें कुछ पर्सनल नहीं है। किसी सिचुएशन की वजह से नहीं हो पाया है…और वे भी मुझे हेल्प करते हैं। क्योंकि, मैं बंदा ऐसा हूं कि जो हमेशा लोगों के पास रहा है और हमेशा लोगों को अपने पास रखा है। अगर किसी को मेरी जरूरत है तो मेरे दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले हैं।

कोशिश करता हूं कि उनके जोन में जाकर सोचूं…मैं उनसे लगातार बात करता हूं, क्योंकि उनकी भावनाएं समझता हूं। मुझे पता है कि मैं कितने भी वर्ड बोल दूं। उनके लिए कठिन ही होंगे। क्योंकि, जब आप लगातार बाहर बैठते हैं तो बुरा लगता है। उसी समय जब लगातार बात करूं तो वो अपनी बात मुझसे शेयर कर सकते हैं। यदि उसे बुरा लग रहा है तो। उनके पास कोच से बात करने का भी अधिकार है। मुझे नहीं लगता कि मेरी टीम में वो दिक्कत होगी। क्योंकि, मेरा बिहेवियर और नेचर ही ऐसा रहा है कि मैं निश्चित करता हूं कि सब साथ में हों।

संजू सैमसन के सिलेक्शन पर बोले- ‘जहां तक संजू सैमसन की बात है वो अनफॉर्चुनेट था हमें उसको खिलाना था लेकिन, किसी वजह से नहीं खिला सके।’

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